Karmyog (Hindi)
स्वामी विवेकानन्द का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। उनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को कोलकाता के एक कुलीन एवं धार्मिक बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से अपनी शिक्षा पूर्ण की। वे महान् संत ही नहीं, अपितु देशभक्त, वक्ता, विचारक एवं महान् लेखक भी थे। अंत में 04 जुलाई, 1902 को उन्होंने ध्यानावस्था में महा समाधि ले ली। स्वामी जी कर्म के प्रति अति निष्ठावान थे। वे कहा करते थे, ‘तुमको कार्य के सभी क्षेत्रों में व्यावहारिक बनना पड़ेगा। सिद्धांतोके ढेरों ने सम्पूर्ण देश का विनाश कर दिया है।’ उन्होंने कर्म को मानसिक अनुशासन एवं आत्मज्ञान के मार्ग स्वरूप ‘कर्मयोग’ को प्रस्तुत किया है। भगवद् गीता के सार द्वारा स्वामी जी ने इस पुस्तक में कर्म को जीवन के मूल तत्व के रूप में व्याख्यित किया है।
Author
Swami Vivekanand
Age Group
15+ Years
Language
Hindi
Number Of Pages
112